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मंदिर नव निर्माण

धार्मिक और पर्यटन की दृष्टि से प्रसिद्ध मां वाराही धाम को भव्य और दिव्य बनाने का सपना साकार होते नजर आ रहा है। इस दिशा में राज्य सरकार के अतिरिक्त एक रजिस्टर्ड ट्रस्ट ’श्री वाराही शक्तिपीठ न्यास’ ने धाम को धार्मिक ही नहीं, एक पर्यटक स्थल के रूप में विकसित करने का लक्ष्य रखा है। वस्तुतः, 23 जून, 2023 को मां वाराही धाम, देवीधुरा में आयोजित ‘विश्व कल्याण महायज्ञ’ के दौरान वाराही मंदिर कमेटी समेत स्थानीय लोगों द्वारा यज्ञ से जुड़े प्रबुद्धजनों से धाम को पर्यटन और धार्मिक दृष्टि से विकसित करने का प्रस्ताव रखा था। इस प्रस्ताव को आयोजन में प्रतिभाग करने पहुंचे मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के सम्मुख रखा और उन्होंन ‘मां वाराही धाम’ को मानसखंड मंदिर माला मिशन योजना के तहत विकसित करने की घोषणा कर दी। यहीं से इस दैवीय कार्य का श्री गणेश हुआ।

वस्तुतः , देवीधुरा स्थित मां वाराही धाम दर्शनार्थियों की वर्तमान आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर पा रहा था। इसी के चलते मंदिर कमेटी द्वारा ‘नया मंदिर निर्माण’ करने की मांग लंबे समय से उठाई जा रही थी।

 इस धाम की व्यापक महत्ता और श्रद्धांलुओं में बढ़ती लोकप्रियता के चलते आज समूचे मंदिर परिसर का कायाकल्प हो, ऐसी प्रबल जन आकांक्षा भी है। ऐसा नहीं कि इस मंदिर का विस्तार पहली बार हो रहा है। पहले वराह अवतार मां वाराही का धाम बहुत ही छोटा-सा पत्थरों (खाप की छत) मंदिर था किन्तु ग्वयौरी का इतिहास अत्यधिक प्राचीन है। आज इसका वृहत विस्तार करना अत्यन्त जरूर हो चुका है।
‘श्री वाराही शक्ति पीठ न्यास’ एक पंजीकृत संस्था है जिसका उद्देश्य भव्य वाराही धाम का निर्माण करना है। न्यास के अधीन एक ‘निर्माण समिति’ भी बनी है, जो निर्माण कार्य की रेखदेख करेगी। न्यास को जगतगुरू शंकराचार्य, पूज्य वासुदेवानंद सरस्वती, तपस्वी बाबा कल्याण दास, पूज्य जितेन्द्रनाथ महाराज,  मंगला माता जैसे संत-महात्माओं का मार्गदर्शन प्राप्त है और इसमें चार खामों के जनप्रतिनिधि, गणमान्यजन एवं मंदिर निर्माण से जुड़े पदाधिकारी तथा स्थानीय जन सम्मिलित हैं। जिलाधिकारी चंपावत न्यास के पदेन सदस्य हैं। एक सदस्य राज्य सरकार द्वारा मनोनीत होगा।मंदिर निर्माण का वित्त पोषण श्रद्धांलुओं से प्राप्त दान तथा केंद्र/उत्तराखंड सरकार से प्राप्त धनराशि से होगा। ट्रस्ट द्वारा प्रख्यात भू-विशेषज्ञों एवं वास्तुकारों द्वारा मंदिर निर्माण हेतु भू-सर्वेक्षण कराया जा चुका है। इसका मास्टर प्लान, टोटल स्टेशन सर्वे तथा साइल टेस्टिंग तैयार है।

नया मंदिर वास्तुशास्त्र, पुराण व आगमों के अनुरूप होगा और इसे हिमालयी मंदिर वास्तुकला से ओत-प्रोत किया गया है जिसकी डिजाइन व रूपरेखा भी न्यास द्वारा बनाकर तैयार हो चुकी है। मंदिर निर्माण के में स्थान व भक्तों व सरकार द्वारा वित्त उपलब्धता के अनुसार,  संपूर्ण मंदिर परिसर का विस्तारीकरण, सुदृढ़ीकरण, नवीनीकरण व सौंदर्यीकरण होगा। नगर को हेरिटेज लुक दिया जाएगा।परिसर में श्रद्धालुओं, पर्यटकों की सुविधानुरूप अनेक सुविधाएं जैसे स्वागत कक्ष, प्रार्थना कक्ष, दर्शन दीर्घा, संगीत पण्डाल, प्रेक्षागृह, रंग-मंडप, योगशाला, संस्कार शाला (विवाह आदि संस्कार हेतु), ध्यान केंद्र, यज्ञशाला, वाटिका, सरोवर, गौ शाला, स्थानीय उत्पाद विक्रय केंद्र, संग्रहालय, पुस्तकालय, पुजारियों के निवास, अतिथि गृह, हनुमान व्यायामशाला, प्रसाधन व स्नान घर आदि यथासंभव बनेंगे। सुदूर भविष्य में आने वाले दर्शनार्थियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए यह कार्य होगा।
पर्वतीय क्षेत्र होने के कारण मंदिर निर्माण के दौरान कई सावधानियां रखनी पड़ेंगी, यह स्थान बहुत नाजुक है जिसके पृष्ठ में स्थित विशाल शिलाखंड़ो की आधारशिला को कोई छेड़छाड़ न हो इसे सुनिश्चित करना होगा तथा साथ ही पर्यावरण संरक्षण भी हो सके।  
मंदिर भवन समूह में देवी के प्रमुख स्वरूपों जैसे श्री दुर्गा, काली, पार्वती, लक्ष्मी के साथ सप्त मातृकाओं व चैंसठि योगिनियों का विस्तार भी प्रदर्शित होगा। मुख्य मंदिर के साथ ही गुफा मंदिर, भीम शिला, मचवाल शिव मंदिर सहित संपूर्ण धाम की योजना का सुनियोजित प्रारूप बनेगा तथा देवदार आदि वृक्षों का रोपण भी होगा। मंदिर निमार्ण वित्तीय उपलब्धतानुसार योजनाबद्ध रूप से विभिन्न चरणों में किया जाएगा।

मंदिर परिसर के अलावा 2-4 किमी क्षेत्र के ऐतिहासिक व धार्मिक स्थलों जैसे मां वाराही का नौला, हनुमान मंदिर, खीरगंगा, मचवाल एवं स्थानीय केदार नाथ मंदिर सहित अन्य स्थलों का विस्तार होगा। हिमालय दर्शन हेतु आधुनिक पर्यटक स्पॉट विकसित होंगे जिससे हरी भरी पर्वत श्रृंखलाओं का दर्शन होगा। स्थानीय जनता की आजीविका साधन बढ़ें यह भी ध्यान में रखा जाएगा।

नव मंदिर का शिलान्यास मई- जून माह में प्रस्तावित है, जिसमें अनेक संत व प्रमुख राष्ट्रीय महापुरुष, सहित अनेक भक्तजन सम्मिलित होंगे

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मंदिर डिज़ाइन  की फोटो लगी है जिसकी विशेषता इस प्रकार है - 
1 यह मॉडल हिमालयी व नागर शैली का मिश्रित नमूना है।
2. यह बद्रीनाथ व केदारनाथ शैली से प्रेरित है।
3. इसमें कुमाऊनी छज्जे व द्वारा होंगे तथा छत हिमालई होगी।
4. चूंकि प्रागैतिहासिक शिलाखंड इसके पृष्ठ में हैँ और नाजुक है अतः यहाँ भारी मंदिर की सलाह नहीं दी जाती। अतः मंदिर की ऊचाई अधिक नहीं रखी है।इस डिज़ाइन में लकड़ी की नक्कासी रहेगी। लकड़ी के प्रयोग से ढांचे का भार भी कम होगा। इस परिवेश में यह संरचना सटीक लगेगी। Heritage लुक देगी।

5. इस स्ट्रक्चर का मेंटेनेंस भी सरल रहेगा और वर्फ का प्रभाव भी ज्यादे नहीं पडेगा। ढलावदार छत ठण्ड से बचाएगी और वेंटीलेशन अच्छा रहेगा।

6. इसमें मौलिकता ( originality ) है। इसमें किसी भी अन्य मंदिर की कॉपी नहीं की गयी है।
7. चूंकि इसमें अद्वितीयता (uniqueness) है अतः यह पर्यटकों को आकृष्ट करेगा।
8. इसमें तीन मंडप हैँ जो भजन व नृत्यमंडप, संस्कार मंडप तथा दर्शन मंडप रहेंगे।
9. डिज़ाइन में मेले में आनेवाली भीड़ को भी ध्यान में रखा गया है।


इस मॉडल में  कुछ बदलाव और आएंगे। जन सामान्य से अनुरोध है कि आगामी 20 दिनों में अपनी प्रतिक्रिया मेल या फ़ोन के माध्यम से देने की कृपा करें.
 

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( दिनांक 01/03/2024)

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