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हिमालय दर्शन

देवीधुरा से हिमालय की विशाल बर्फीली चोटियां एवं अनवरत पहाड़ियों के बीच पनार घाटी, सीढ़ीनुमा खेत तथा सर्पीले रास्ते व सड़कें एक अद्भुत एवं रोमांचकारी दृश्य प्रदान करते हैं। देवीधुरा से कुमाऊं व नेपाल, हिमालय के दक्षिण-पूर्व से लेकर पश्चिमी छोर की सभी छोटी-बड़ी चोटियां स्पष्ट दिखाई देती हैं। बर्फ से ढका गौरी शंकर पर्वत, नन्दा घुण्टी, नन्दा देवी, चैखम्भा या नन्दाखाट अर्थात नन्दा की पूरी हिम- श्रृं खला यहां से दिखाई देती हैं। इसके अतिरिक्त रूपकुण्ड, नर-नारायण पर्वत, बद्रीनाथ पर्वत, नाग पर्वत, पंचाचुली तथा हुंकार देवी का विहंगम दृश्य भी दिखाई देता है। एक ही स्थान से विशाल हिमालय की इतनी लम्बी श्रृंखला बहुत कम स्थलों से देखने को मिलती है। दक्षिण दिशा में देवगुरू पर्वत श्रृंखला है, जिसमें निमांशी बृहस्पति देवता का एकांत में स्थित एक दुर्लभ मंदिर स्थित है। शांत वादियों में बसे ये प्राचीन मंदिर पर्यटन और आध्यात्म की दृष्टि से अत्यन्त महत्वपूर्ण हैं।

आस-पास के प्रमुख दर्शनीय स्थल: आसपास के दर्शनीय स्थानों में बालेश्वर मंदिर, अबोट पर्वत, मायावती, लोहाघाट, चंपावत, रीठा साहिब, डोल आश्रम जैसे कई महत्त्वपूर्ण पर्यटन स्थान हैं। सभी पर्यटन स्थालों के प्रांगण तक सड़क मार्ग की व्यवस्था है।

‘जिम कार्बेट की पुस्तक ‘द टैंपल टाइगर’ देवीधुरा मां वाराही के रहस्यमयी बाघ के ऊपर है।

देवदार, बांझ, बुरांस आदि हिमालयी वनस्पितियों से घिरा यह क्षेत्र ट्रैकिंग हुेत भी उत्तम है।

रक्षाबंधन के रोमांचकारी मेले के अतिरिक्त चैत्र और आस्विन की नवरात्रि, शिवरात्रि में भी यहां श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है।

 

(विषय की विस्तृत जानकारी हेतु तक्षशिला प्रकाशन, नई दिल्ली से प्रकाशित श्री हीरा बल्लभ जोशी की पुस्तक: वाराही मंदिर देवीधुरा, रंगीली कुमाऊं की अद्भुत झलक, पढ़ें।)

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